जानिये भगवान जगन्नाथ की मौसी के घर गुंडिचा मंदिर का रहस्य

Gundicha Mandir Rahasya
Gundicha Mandir Rahasya

Gundicha Mandir Rahasya: गुंडीचा मंदिर पुरी में स्थित एक पावन तीर्थ स्थल है जो भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का अंतिम पड़ाव होता है। यह भगवान जगन्नाथ का मायका कहलाता है। हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा रथों की सवारी करके श्री जगन्नाथ मंदिर से गुंडीचा मंदिर (Shree Gundicha Temple Puri) तक आते हैं। तीनों देवता इस मंदिर में 9 दिनों तक निवास करते हैं। 

भगवान का यह 9 दिन का निवास आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है, जो भक्तों को भगवान की कृपा और उनकी समीक्षा का अनुभव देता है। यह आर्टिकल गुंडीचा मंदिर के महत्व, भगवान के गुंडीचा मंदिर में जाने के कारण (Gundicha Mandir Rahasya) और भगवान के यहां रुकने के पीछे के अध्यात्मिक संदेश को प्रस्तुत करेगा।

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राजा इंद्रदयुम्न के वरदान और भगवान का मायका

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान जगन्नाथ प्रकट हुए तब राजा इन्द्रद्युम्न ने अपनी गहरी भक्ति और श्रद्धा के साथ तीन अनोखे वरदान मांगे। पहला वरदान उन्होंने मांगा कि भगवान के हाथ हमेशा गीले रहें अर्थात भोग से भर रहें ताकि भक्तों को दिन में 6 बार भोग प्रसाद पानी का सौभाग्य मिले। दूसरे वरदान के रूप में उन्होंने मांगा कि भगवान का दर्शन हमेशा खुला रहे जिससे कोई भी भक्त बिना किसी बाधा के आपकी शरण में आ सके और तीसरे वरदान के रूप में उन्होंने मांगा कि हमारा कोई पुत्र ना हो ताकि भगवान के प्रति उनके समर्पण में किसी तरह की कोई बाधा ना आए। 

राजा इन्द्रद्युम्न द्वारा उम्र भर निसंतान रहने का वरदान मांगने पर महारानी गुंडेचा दुखी हुई तब भगवान जगन्नाथ ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह हर साल उनके घर आएंगे और उनका श्राद्ध भी वही करेंगे। तभी से हर साल भगवान जगन्नाथ अपने मंदिर से निकाल कर रानी गुंडीचा के मंदिर में जाते हैं। जगन्नाथ प्रत्येक वर्ष रथ यात्रा के दौरान सुंदर आंचल कहे जाने वाले इस मंदिर में अपनी मौसी के घर विश्राम करने और श्राद्ध करने आते है। यह कथा बताती है कि भगवान स्वयं भी पारिवारिक कर्तव्यों का पालन करते हैं। भक्तों में इस विश्वास को जाग्रत करती है कि भगवान उनके सुख दुख के सहभागी हैं।

आत्मा और परमात्मा का मिलन प्रतीक

भगवान की गुंडीचा मंदिर (Gundicha Mandir Rahasya) तक की यात्रा आत्मा और परमात्मा के पवित्र मिलन की प्रतीक मानी जाती है। जिस प्रकार एक राजा अपनी प्रजा से मिलने के लिए उनके द्वार पर पहुंचता है इस तरह रथ यात्रा में भगवान स्वयं अपने भव्य रथ पर सवार होकर भक्तों के बीच आते हैं। अदृश्य भक्तों के हृदय में भक्ति का दीप जलाता है।

गुंडेचा मंदिर में भगवान का 9 दिनों तक निवास करना इस बात का प्रतीक है कि परमात्मा अपने भक्तों के निकट हैं और उनकी पुकार सुनते हैं तथा उनकी श्रद्धा को स्वीकार भी करते हैं। यह यात्रा भक्तों को यह संदेश देती है की सच्ची भक्ति से आत्मा का परमात्मा से मिलन संभव है।

Gundicha Mandir Ki Kahani
Gundicha Mandir Ki Kahani

राजा इंद्रद्युम्न के वरदानों में छिपा गहरा संदेश

राजा इंद्रद्युम्न मांगे गए तीन वरदानों में एक गहरा आध्यात्मिक और दार्शनिक संदेश छिपा हुआ है भगवान के हाथों का हमेशा भोग से भरा रहना उनकी उनकी असीम कृपा का प्रतीक माना गया है जो भक्तों को निरंतर आशीर्वाद देता है। 

दर्शन की सुलभता यह दर्शाती है कि भगवान अपने भक्तों के लिए हर पल मौजूद है चाहे दिन हो या रात। यह भक्ति की स्थिरता और समर्पण का प्रतीक है। तीसरे वरदान के रूप में राजा का पुत्र विहीन रहने का वरदान मांगना भगवान के प्रति त्याग और समर्पण को दर्शाता है। 

हर माता-पिता अपने लिए एक संतान चाहता है लेकिन राजा इन्द्रद्युम्न ने अपनी संतान से बढ़कर भगवान की भक्ति को महत्व दिया। यह एक सच्चे भक्त के वास्तविक स्वरूप को दर्शाता है। अपनी आकांक्षाओं से ऊपर उठकर आध्यात्मिकता को महत्व देना भक्तों को आत्मिक उन्नति का मार्ग दिखाता है।

गुंडीचा मंदिर का विशेष स्थान

गुंडीचा मंदिर (Gundicha Mandir Rahasya) केवल रथ यात्रा का आखिरी प्रभाव नहीं है बल्कि यह भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। मान्यता है कि यहां पर भगवान के दर्शन का विशेष फल मिलता है जो भक्तों के जीवन में सुख शांति और समृद्धि लाता है। 

इस मंदिर का वातावरण भक्ति और श्रद्धा से ओतप्रोत है जो भक्तों को आत्मिक शांति प्रदान करता है। भगवान जगन्नाथ का श्राद्ध करने के लिए इस मंदिर में आना सामाजिक और पारिवारिक कर्तव्य के प्रति उनके कर्तव्य निष्ठा को दर्शाता है और भक्तों को भी अपने कर्तव्य निभाने की प्रेरणा देता है।

Gundicha Mandir Puri
Gundicha Mandir Puri

निष्कर्ष

गुंडीचा मंदिर से जुड़े रहस्य(Gundicha Mandir Rahasya), कथाएं और परंपराएं भगवान के प्रति प्रेम समर्पण और उनकी भक्ति में डूब कर सांसारिक अपेक्षाओं को त्यागने की प्रेरणा देते हैं। इसके साथ ही यह भगवान के कर्तव्य निष्ठ स्वरूप को भी संसार में प्रतिष्ठित करती है। मंदिर से जुड़ी कथा यह दर्शाती है कि यदि भक्त ईश्वर के प्रति समर्पित है तो भगवान भी हर नियम से परे अपने भक्त के प्रति हर  कर्तव्य का निर्वाह करते हैं।

FAQ- Gundicha Mandir Rahasya

गुंडीचा माता कौन थी?

गुंडीचा माता भगवान जगन्नाथ के मंदिर के संस्थापक राजा इन्द्रद्युम्न की पत्नी थी, जो भगवान की मौसी भी कही जाती हैं। हर साल भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा करके 9 दिनों के लिए गुंडीचा मंदिर आकर निवास करते हैं

Anu Pal

मैं अनु पाल, Wisdom Hindi ब्लॉग की फाउंडर हूँ। मैं इंदौर मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं। मैं एक ब्लॉगर और Content Writer के साथ-साथ Copy Editor हूं और 5 साल से यह काम कर रही हूं। पढ़ने में मेरी विशेष रूचि है और मैं धर्म, आध्यात्म, Manifestation आदि विषयों पर आर्टिकल्स लिखती हूं।

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