एकादशी के दिन भूल से भी ना करें ये 7 काम

Ekadashi Par Kya Nahi Karna Chahiye
Ekadashi Par Kya Nahi Karna Chahiye

Ekadashi Par Kya Nahi Karna Chahiye: देवशयनी एकादशी जिसे आषाढी एकादशी या हरि शयनी एकादशी (Hari Shayani Ekadashi) कहा जाता है। यह एकादशी विष्णु भगवान के योग निद्रा में जाने का पर्व है अर्थात इस दिन से विष्णु भगवान 4 महीने के लिए पाताल लोक में योग निद्रा में चले जाते हैं और वहीं विश्राम करते हैं। यह दिन आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन की विशेष महत्वता होती है क्योंकि इस दिन के बाद लगातार 4 महीने तक किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।

चातुर्मास अर्थात चौमासा ऐसा समय होता है जब केवल ध्यान, जप ,योग, तप, पुण्य आदि किए जाते हैं। ऐसे में देवशयनी एकादशी का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। परंतु कई बार हम अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो हमारे इस दिन के पुण्य फल को कम कर देती हैं और आज इस लेख में हम आपको इसी का विवरण उपलब्ध कराएंगे जहां हम बताएंगे देवशयनी एकादशी में किन गलतियों को नहीं करना चाहिए (Ekadashi Par Kya Nahi Karna Chahiye) ताकि आपको इस दिन किए गए पुण्य कार्य का पूरा फल प्राप्त हो।

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देवशयनी एकादशी के दिन ना करें यह गलतियां

व्रत की तैयारी में लापरवाही– देवशयनी एकादशी अत्यंत पुण्य तिथि मानी जाती है। ऐसे में इस दिन के व्रत की तैयारी भी गंभीरता से करनी चाहिए। व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से ही आरंभ हो जाती है। मतलब यदि आप एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो आपको दशमी तिथि को ही शाम को सात्विक भोजन करना चाहिए। यदि व्रत रख रहे हैं तो व्रत के नियम और पूजा विधि का पालन करें। एकादशी की सुबह स्नान कर व्रत का निश्चय करें और दिन भर सात्विक रूप से ही इस व्रत का पालन करें और द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण कर सात्विक भोजन का ही सेवन करें।

देर तक सोना– देवशयनी एकादशी की तिथि आत्माशुद्धि, उपासना और संयम का प्रतीक मानी जाती है। ऐसे में यदि आप इस दिन व्रत रख रहे हैं तो कोशिश करें कि आप ब्रह्म मुहूर्त में ही उठें, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान इत्यादि करें, स्वच्छ वस्त्र पहने, व्रत का संकल्प लें, पूजा स्थल की सफाई करें ऐसा करने से आप पर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की कृपा होती है।

पूजा में ना करें यह गलतियां– देवशयनी एकादशी के दौरान कई लोग पूजा विधि जाने बिना ही जल्दबाजी में पूजा कर लेते हैं। ऐसे में पूजा के दौरान विशेष ध्यान रखें जैसे कि बिना स्नान करें मंदिर में प्रवेश न करें, व्रत का संकल्प लेने के बाद ही पूजा आरंभ करें, श्री हरि विष्णु पर तुलसी दल निश्चित रूप से चढ़ाएं, विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें ,भगवान विष्णु पर पीले रंग के फूल ,पंचामृत निश्चित रूप से चढ़ाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

भोजन संबंधित गलतियां– देवशयनी एकादशी के दिन यदि आप व्रत उपवास कर रहे हैं तो आपको विशेष ध्यान रखना होगा। यहां दशमी तिथि से ही आपको सात्विक भोजन का सेवन करना होगा अर्थात चावल, गेहूं, दाल, मसूर, मांसाहार ,लहसुन-प्याज इत्यादि का सेवन त्यागना होगा। दशमी तिथि से लेकर व्रत के पारण तक आप फलाहार का सेवन कर सकते हैं आप चाहे तो साबूदाना, सिंघाड़ा ,मूंगफली ,मखाने इत्यादि भी खा सकते हैं।

Ekadashi Par Na Kare Ye Kaam
Ekadashi Par Na Kare Ye Kaam

रात्रि में सो जाना– देवशयनी एकादशी में रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है। यह समय भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का सबसे उत्तम समय माना जाता है। ऐसे में देवशयनी एकादशी की तिथि के दिन रात को मनोरंजन में बिताने की बजाय या सोने की बजाय भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और ब्रह्म मुहूर्त में स्नान इत्यादि कर पुनः पूजा अर्चना करें।

संतुलित व्यवहार न करना– देवशयनी एकादशी केवल भोजन का त्याग नहीं बल्कि मन, वचन और कर्म से पवित्र रहने का अभ्यास है। इस दिन झूठ ना बोले, क्रोध न करें, किसी से अपशब्द ना कहें, किसी के प्रति द्वेष भावना ना रखें, मानसिक और आत्मिक शांति बनाए रखें, लोगों से मधुर व्यवहार करें, यथा संभव दान करें, यदि दान नहीं कर पा रहे हैं तो दान लेने वाले को गलत शब्द ना कहें, अपने काम ख़ुद करें, किसी जीव को भूलकर भी तकलीफ न दें।

साफ सफाई का विशेष ध्यान– देवशयनी एकादशी के दिन पवित्रता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन अपने शरीर के साथ-साथ आपके घर की स्वच्छता का भी ध्यान रखना होगा। आपको पूरे घर की साफ सफाई करनी होगी। कोशिश करें कि इस दिन आपके घर में किसी प्रकार का कोई तामसिक सामान ना हो। घर में और आसपास के वातावरण में शुद्धता बनाए रखें। घर के पूजा स्थल को शुद्ध रखें। घर के रसोई घर में भी शुद्धता बरकरार रखें साथ ही हो सके तो जमीन पर सोए।

निष्कर्षEkadashi Par Kya Nahi Karna Chahiye

इस प्रकार देवशयनी एकादशी केवल वैदिक तिथि नहीं बल्कि आध्यात्मिक जागृति का शुभारंभ है। यह क्षण वह क्षण होता है जब भगवान विष्णु विश्राम में चले जाते हैं और साधक आत्म-निरीक्षण में लीन होते हैं। इस दौरान की गई छोटी सी लापरवाही, अपवित्रता या अधर्म पूर्वक कार्य आपके व्रत को निष्फल कर सकता है।

FAQ- Ekadashi Par Kya Nahi Karna Chahiye

देव शयनी एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए?

देव शयनी एकादशी पर देर तक सोना तामसिक भोजन करना आप शब्द बोलना इत्यादि कम नहीं करना चाहिए

Anu Pal

मैं अनु पाल, Wisdom Hindi ब्लॉग की फाउंडर हूँ। मैं इंदौर मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं। मैं एक ब्लॉगर और Content Writer के साथ-साथ Copy Editor हूं और 5 साल से यह काम कर रही हूं। पढ़ने में मेरी विशेष रूचि है और मैं धर्म, आध्यात्म, Manifestation आदि विषयों पर आर्टिकल्स लिखती हूं।

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