
Shani Jayanti 2025: आगामी ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती का त्योहार मनाया जाएगा। शनि देव के जन्म के कारण ज्येष्ठ अमावस्या शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के नाम से जानी जाती है। शनि देव नवग्रह के राजा और कर्म फल के दाता के रूप में पूजा जाते हैं।
भगवान शनि देव सूर्य और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। उनकी पूजा से जीवन के कलह क्लेश मिटते हैं और शांति का आगमन होता है। यह दिन शनि देव के दोषों जैसे साढ़ेसाती, शनि महादशा, ढैय्या से जूझ रहे लोगों के लिए वरदान है। यह आर्टिकल आपको शनि जयंती (Shani Jayanti 2025) के ज्योतिषीय, धार्मिक व सामाजिक महत्व की भी जानकारी देगा।
क्या है शनि जयंती का महत्व
शनि जयंती को शास्त्रों में बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। इस बार शनि अमावस्या 26 में को मनाई जाएगी (Shani Jayanti Kab Hai) इस आलेख में हम शनि जयंती के महत्व को अलग-अलग दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करेंगे। आइये जानें शनि जयंती के विभिन्न आयामों को-
शनि जयंती का धार्मिक महत्व
हिंदू वैदिक शास्त्रों के अनुसार शनि देव का जन्म ज्येष्ठ अमावस्या के दिन हुआ। शास्त्र शनिदेव को न्याय के देवता के रूप में स्थापित करते हैं जो व्यक्ति को उसके कर्म के आधार पर परिणाम देते हैं। अच्छे कर्म करने वाले को सुख समृद्धि देते हैं जबकि बुरे कर्म करने वाले को दंड भी देते हैं।
शनि जयंती के दिन भक्त शनि मंदिर में जाकर विधि के अनुसार पूजा करते हैं इसके साथ ही भी उपवास दान और पूजा पाठ भी करते हैं ऐसा माना गया है कि शानी जयंती न केवल शनि के दोष को काम करती है बल्कि नकारात्मक ऊर्जा की हरती है।
शनि जयंती (Shani Jayanti 2025) पर शनि देव को अर्पण किए जाने वाले पदार्थ में सरसों का तेल, अपराजिता के फूल, काले तिल और शमी के पत्ते प्रमुख हैं। मान्यता है कि ये चीज़ें शनिदेव को अत्यंत प्रिय हैं।

और पढ़ें: Budhwa Mangal Ke Bhog: बुढ़वा मंगल के प्रथम मंगलवार पर हनुमान जी को लगाएँ यह भोग
शनि जयंती का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह सबसे धीमा ग्रह माना जाता है। एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने के लिए यह ग्रह लगभग ढाई वर्ष का समय लेता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से कई लोग प्रभावित होते हैं जिनके कारण उनका जीवन कई चुनौतियों का सामना करता है।
शनि जयंती (Shani Jayanti 2025) ऐसे दुष्प्रभावों से बचने के लिए उत्तम है। इस दिन “ॐनीलांजनसमाभासंरविपुत्रंयमाग्रजम्, छायामार्तण्ड संभूतंतंनमामि शनैश्चरम्,” जैसे शनि मंत्र का जाप व शनि चालीसा पाठ से शनि देव कृपा करते हैं।
ज्योतिष आचार्य का मानना है कि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि जयंती पर गरीबों को भोजन करना, काले वस्त्र, तिल और लोहे के बर्तनों का दान करना फायदेमंद साबित होता है। मकर कुंभ तुला और कर्क राशि वालों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ है।
शनि जयंती का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
सामाजिक महत्व के दृष्टिकोण से भी शनि जयंती बहुत खास है। यह त्यौहार लोगों को नैतिकता ईमानदारी और अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरणा देता है। शनि देव की पूजा के साथ-साथ इस दिन पितरों के लिए तर्पण और दान करने की भी परंपरा है जिससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
शनि जयंती (Shani Jayanti 2025) समाज के गरीब और पीड़ित लोगों जैसे वृद्ध, अनाथ और दिव्यांग व्यक्तियों की मदद करने और दान का दिन है। इस दिन प्रमुख जगहों पर भोजन का वितरण, पूजा और धर्म सम्बन्धी आयोजन किए जाते हैं जो सामाजिक एकता को बढ़ावा देते हैं।

शनि जयंती की पूजा विधि और उपाय
शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि करके शनि देव के मंदिर में जाकर पूजा की जाती है। इस दौरान शनि देव की मूर्ति पर सरसों का तेल काले तिल और मेरे फूल चढ़ाए जाते हैं इसके बाद शनि कवच और मित्रों का जाप कर किया जाता है जिससे बहुत लाभ होता है इसके अलावा इस दिन कुछ नियमों का पालन करना चाहिए जैसे छल कपट से बचाना सच बोलने के नियम का पालन करने का संकल्प लिया जाता है।
निष्कर्ष
शनि जयंती धार्मिक ज्योतिष और सामाजिक मूल्यों की प्रतिनिधि है यह दिन हमें हमारे कर्मों के प्रति सचेत करता है और एक संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देता है। शनि देव हमारे जीवन की अड़चनें दूर करते हैं। इस दिन किया गया व्रत पूजा और मंत्र जाप हमें आध्यात्मिक और नैतिक रूप से बेहतर बनाता है।
FAQ- Shani Jayanti 2025
शास्त्रों में शनि देव किस रूप में प्रचलित हैं?
शास्त्रों में शनि देव न्याय के देवता सभी ग्रहों के राजा और कर्मों के पहले देने वाले के रूप में प्रसिद्ध हैं।
शनि देव किसके पुत्र माने जाते हैं?
शनि देव भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया के पुत्र माने जाते हैं।
2 thoughts on “Shani Jayanti 2025: जानिये क्या महत्व है इस शनि जयंती का”